फ़रवरी 21, 2017

देश का स्वर्णिम इतिहास ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया

   देश का स्वर्णिम इतिहास ( हास्य-कविता ) डॉ लोक सेतिया

लिखना है इतिहास देश का आज़ादी से लेकर अब तक
क्या क्या शामिल करना होगा यही सोचते भी कब तक
सरकारी गैर-सरकारी सभी आंकड़ें जुटा लिये हैं मैंने
बात देश की जनता की पहुंचेगी लेकिन ये रब तक।

गुलामी में भी इक साहस था इक हिम्मत थी
सब को था मालूम हमने है आज़ादी उस से पानी
अपना सब न्योछावर करने को हर कोई राज़ी था
पर ये सब थी बात पुरानी मिली आज़ादी जब तक।

फिर सत्ता की चाहत ने राजनीति को था भटकाया
सब नेताओं ने मिलकर अपना इक संविधान बनाया
मालिक जनता को बेबस वोटर और भिखारी बना
सरकारों के नाम पे नेताओं की लूट को एहसान बताया।

हर दीवार पर लगे हुए हैं अब सरकारी इश्तिहार यही
सब से अच्छा मुल्क यही संविधान यही सरकार यही
नेता अफसर सब अपने उनके सब है बस उनकी खातिर
जनता की फटी हुई झोली में बचती नहीं खैरात यही।

आज बतायेंगे हम सबको चले कहां से कहां आये हैं
धर्म की दुकानें हैं जैसे लंबे शाम के होते साये हैं
शिक्षा का भी बाज़ार सजा है बिकती है महंगे दामों
समाज सेवा और स्वास्थ्य सेवाओं को लूट बनाया है
गुलामी से बदतर है जो अच्छे दिन ले आये हैं।

मत देखों सड़ता अनाज सरकारी गोदामों में आप
मरते हैं भूखे बेशक लोग रोज़ दरबार लगाओ आप
झूठे वादों के भाषण देकर सबको भरमाओ आप
आम आदमी है गरीब देश का मौज मनाओ आप।

सबको मोबाइल फोन मिला लो कर लो बातें जी
सोशल मीडिया पे दिन भर वक़्त बिताओ नाकारा
मत देखो क्या हाल देश की जनता का क्या हमारा
देखो फ़िल्में कितना कमाती रोता संगीत बेचारा।

बड़ी बड़ी बातों से किस किस को बहलाओगे
अपने मुंह मियां मिट्ठू कब तलक कहलाओगे
योगी का भेस बनाकर भोगी जैसे काम सभी
सोचो सोचो बाबा जी सोचोगे जब शर्माओगे।

विश्व समानता दिवस पर पता चली है बात हमें
उजियारे का नाम देकर दी है काली रात हमें
दस बीस प्रतिशत अमीर आधी जनता है फकीर
आपकी रैलियां बदल सकती नहीं कोई तकदीर।

सब नेता सत्ता के भूखे हैं नहीं कोई भी जननायक
भरी सभा में हंसते थे शैतान फिल्मों में खलनायक
सभी का अभिनय राम पात्र का मन है रावण जैसा
कोई इनसे बचे किस तरह नेता सारे दुखदायक।

पुलिस को भोली जनता लगती है जैसे चोर है
अपराधियों से उनका पक्का जो गठजोड़ है
नेता सब निर्वस्त्र हुए हैं खुद को सुंदर दिखलाने में
भगवान बचालो इनसे हमको सुनाई देता शोर है।

जिसको भोर घोषित किया गया वो इक काली रात है
कालिख से लिखा हुआ कहते स्वर्णिम इतिहास है।
                 

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