नया फैशन सरकार का ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
सरकार का नया विज्ञापन आया है। ईमानदार सरकार का। अब ईमानदारी की सभी की अपनी परिभाषा होती है। मेरे शहर में बड़े अधिकारी की ईमानदारी यही है कि वो जिन से घूस लेता है उनको हर गलत काम खुल कर करने देता है। आप कितनी शिकायत करते रहो वो अपने कान बंद रखता है और आंखें भी। उसको किसी का अवैध कब्ज़ा नज़र आता ही नहीं न ही नियम तोड़ना , आप सड़क पर कब्ज़ा करें या फुटपाथ को रोक गंदगी फैलाते रहें आपको सब की अनुमति है। एक पुलिस अफ्सर नशा मुक्ति की बातें करता है और यह भी जानता है खुद उसका विभाग ही नशे का कारोबार करवा रहा है। जब किसी बस्ती के लोग शिकायत करते हैं और अफ्सर अपने अधीन अधिकारी को धंधा बंद कराने को कहता है और अधिकारी आदत के अनुसार कुछ नहीं करता तब अफ्सर को दिखाना होता है कि वह ईमानदार है। मगर जो पुलिस को बाकयदा हिस्सा देकर नशे का कारोबार करते हैं उनके प्रति अफ्सर भी ईमानदार होते हैं और जब ऐसे नशे की दुकान की शिकायत होती है तब खुद पुलिस के लोग खड़े होकर दूसरी जगह नई दुकान , या खोखा बनवा कारोबार चलाने वाले को अपनी ईमानदारी का सबूत देते हैं। नशे की लत से जब किसी की जान चली जाती है तब पुलिस का सभी अधिकारी खुद दखल देते हैं ताकि उस मौत को स्वाभाविक मृत्यु घोषित किया जा सके , ऐसे में सब चोर चोर मौसेरे भाई बन जाते हैं और डॉक्टर भी हार्ट अटैक से मौत होना घोषित कर देते हैं। सभी ईमानदार हैं , जिसकी खाते हैं उसकी बजाते हैं।इक अभिनेता ने इक राज्य में शराब बंदी पर बयान दिया कि वह उस राज्य में नहीं जाया करेंगे। उनका मानना है इस से अवैध ढंग से शराब बेचने वालों का धंधा चलता है और पीने वालों को अच्छी शराब नहीं मिलती है। बात तो ईमानदारी की है , यही होता है , देखा गया है। लेकिन बात सरकार की ईमानदार होने के विज्ञापन की हो रही थी। इक प्रधानमंत्री हुए हैं जिनके नाम के साथ भी ईमानदारी का तमगा लगा हुआ था , उनके काल में इतने घोटाले हुए इतना भ्र्ष्टाचार हुआ फिर भी उनका तमगा कायम रहा। जबकि वास्तव में जब एक कलर्क भी रिश्वत लेता है तब देने वाले को सरकार भ्रष्ट नज़र आती है। किस की चुनरी में दाग नहीं लगा , सभी कहते हैं लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे। अब तो लोग कहते हैं दाग अच्छे हैं। मगर जाने क्यों इस सरकार को चकाचक सफेद पोशाक पहनने का महंगा शौक चर्राया है जो ये विज्ञापन बनवा लिया है। मुझे भी कभी सफ़ेद पैंट - शर्ट पहनने का शौक हुआ करता था और जब भी पहनी बरसात हो जाती थी और कहीं न कहीं से कोई छींटा दागदार कर देता था। अब बरसात का मौसम भी आने को है , खुदा सरकारी पोशाक की लाज रखना। मगर चिंता की कोई बात नहीं है , हर फैशन दो दिन बाद बदल जाता है। मुमकिन है सरकार भी अभी से अगले विज्ञापन को लेकर चर्चा करने लगी हो। क्योंकि हर कुछ दिन बाद सरकार को लगता है उसका विज्ञापन अब ऐतबार के काबिल नहीं रहा और उसको बदल देती है। ये नया फैशन भी सरकार का जल्द ही बदलेगा उम्मीद तो यही है।
नर्म आवाज़ भली बातें मुहज़ब लहज़े
पहली बारिश में ही ये रंग उतर जाते हैं।
( किसी शायर का शेर है )