जून 01, 2013

POST : 341 कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

     कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं ( ग़ज़ल ) 

                     डॉ लोक सेतिया "तनहा"

कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं
तुम परखना मत कभी खोखले किरदार हैं ।

छोड़कर ईमान को लोग नेता बन गये
दो टके के लोग तक बन गये सरदार हैं ।

देखकर तूफ़ान को, छोड़ दी पतवार तक
डूबने के बन गये अब सभी आसार हैं ।

फेर ली उसने नज़र, देखकर आता हमें
इस कदर रूठे हुए आजकल दिलदार हैं ।

पास पहली बार आये हमारे मेहरबां
और फिर कहने लगे फासले दरकार हैं ।

हम समझते हैं अदाएं हसीनों की सभी
आपके इनकार में भी छुपे इकरार हैं ।

गैर जब अपने बने, तब यही "तनहा" कहा
ज़िंदगी तुझसे हुए आज हम दो चार हैं । 
 

 

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