मई 04, 2013

POST : 337 बहुत ढूंढा जमाने में नहीं तुम सा मिला कोई ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

    बहुत ढूंढा जमाने में नहीं तुम सा मिला कोई ( ग़ज़ल ) 

                        डॉ लोक सेतिया "तनहा"

बहुत ढूंढा ज़माने में , नहीं तुम सा मिला कोई
तुम्हारे बिन नहीं सुनता , हमारी इल्तिजा कोई ।

इबादत छोड़ मत देना ,परेशां हाल हो कर तुम
यही रखना भरोसा बस , कहीं होगा ख़ुदा कोई ।

हुई वीरान जब महफ़िल , करोगे याद सब उस दिन
वही महफ़िल जमाता था ,कहां उठकर गया कोई ।

किया करते सभी से बेवफ़ाई जो हमेशा हैं
शिकायत क्यों उन्हीं को है नहीं उनका हुआ कोई ।

कभी कह हम नहीं पाये , कभी वो सुन नहीं पाये
शुरू कुछ बात जब करते , तभी बस आ गया कोई ।

छिपा कर इस जहां से तुम  इन्हें पलकों पे रख लेना
तुम्हारे अश्क मोती हैं ,  नहीं ये जानता कोई ।

खताएं भी हुई होंगी , कई हमसे यहां "तनहा"
सभी इंसान दुनिया में , नहीं है देवता कोई ।
 

 

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