जनवरी 07, 2013

POST : 275 तुम सिखाते रहे दोस्ती ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

तुम सिखाते रहे दोस्ती ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

तुम सिखाते रहे दोस्ती
लोग बनते गए अजनबी ।

आज हमसे मिले आप जब
मिल गई तब हमें ज़िंदगी ।

आपने क्या ये जादू किया
लूट दिल ले गई सादगी ।

हाल ऐसा हमारा हुआ
दूर होकर हुए पास भी ।

हम मिलेंगे कभी तो कहीं
देखनी बस है दुनिया वही ।

तुम न होना कभी अब जुदा
हमसे वादा करो तुम यही ।

आ भी जाओ खुला दर मेरा
इक यही बात "तनहा" कही ।
 

 

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