मत ये पूछो कि क्या हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
मत ये पूछो कि क्या हो गयाबोलना सच , खता हो गया ।
जो कहा भाई को भाई तो
मुझ से बेज़ार-सा हो गया ।
आदमी बन सका तो नहीं
कह रहा मैं खुदा हो गया ।
अब तो मंदिर ही भगवान से
क़द में कितना बड़ा हो गया ।
उस से डरता है भगवान भी
देख लो क्या से क्या हो गया ।
घर ख़ुदा का जलाकर कोई
आज बंदा ख़ुदा हो गया ।
भीख लेने लगे लगे आजकल
इन अमीरों को क्या हो गया ।
नाज़ जिसकी वफाओं पे था
क्यों वही बेवफा हो गया ।
दर-ब-दर को दुआ कौन दे
काबिले बद-दुआ हो गया ।
इन अमीरों को क्या हो गया ।
नाज़ जिसकी वफाओं पे था
क्यों वही बेवफा हो गया ।
दर-ब-दर को दुआ कौन दे
काबिले बद-दुआ हो गया ।
राज़ की बात इतनी सी है
सिलसिला हादिसा हो गया ।
कुछ न "तनहा" उन्हें कह सका
खुद गुनाहगार-सा हो गया ।
इन अमीरों को क्या हो गया...लाजवाब ग़ज़ल
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