दिसंबर 05, 2012

POST : 254 मत ये पूछो कि क्या हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

 मत ये पूछो कि क्या हो गया ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

मत ये पूछो कि क्या हो गया
बोलना सच ,  खता हो गया ।

जो कहा भाई को भाई तो 
मुझ से बेज़ार-सा हो गया । 
 
आदमी बन सका तो नहीं
कह रहा मैं खुदा हो गया ।

अब तो मंदिर ही भगवान से 
क़द में कितना बड़ा हो गया ।

उस से डरता है भगवान भी 
देख लो क्या से क्या हो गया । 
 
घर ख़ुदा का जलाकर कोई 
आज बंदा ख़ुदा हो गया ।
 
भीख लेने लगे लगे आजकल 
इन अमीरों को क्या हो गया ।

नाज़ जिसकी  वफाओं पे था
क्यों वही बेवफा हो गया ।

दर-ब-दर को दुआ कौन दे
काबिले बद-दुआ हो गया ।

राज़ की बात इतनी सी है 
सिलसिला हादिसा हो गया । 

कुछ न "तनहा" उन्हें कह सका
खुद गुनाहगार-सा हो गया ।  
 

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