नवंबर 28, 2012

POST : 249 हाल अच्छा क्यों रकीबों का है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हाल अच्छा क्यों रकीबों का है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हाल अच्छा क्यों रकीबों का है
ये भी शिकवा कुछ अदीबों का है ।

मिल रहा सब कुछ अमीरों को क्यों
हक बराबर का गरीबों का है ।

मांगकर मिलता नहीं छीनो अब 
फिर सभी अपने  नसीबों का है ।

किसलिये  डरना किसी ज़ालिम से 
डर नहीं कोई सलीबों का है ।

दर्द गैरों का दिया कुछ "तनहा"
और कुछ अपने हबीबों का है । 
 

 

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