सितंबर 02, 2012

POST : 107 दिल अपना किसी को दिखाएं तो कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

 दिल अपना किसी को दिखाएं तो कैसे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 

दिल अपना किसी को दिखाएं तो कैसे 
है वीरान कितना बताएं तो कैसे । 
 
करें किस से ज़िक्र अपनी बर्बादियों का 
ये इल्ज़ाम खुद पर लगाएं तो कैसे । 
 
जो मांगे खुदाई तो मिल जाए वो भी 
हम उस तक रसाई भी पाएं तो कैसे । 
 
भुलाना जिसे चाहते हैं हमेशा 
उसी दास्तां को सुनाएं तो कैसे । 
 
नज़र आपकी जब ख़ुदा हो गई है 
हम अपनी निगाहें चुराएं तो कैसे । 
 
वहां जा के हम और होते हैं ' तनहा '
तो हम उनकी महफ़िल में जाएं तो कैसे ।  
 
 
 Gazal
 

 

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