अगस्त 24, 2012

POST : 75 हम सभी इस तरह बंदगी करते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम सभी इस तरह बंदगी करते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम सभी इस तरह बंदगी करते
दुश्मनी छोड़ कर दोस्ती करते ।

तुम अगर रूठते हम मना लेते
जो किया था कभी फिर वही करते ।

जी सकेंगे नहीं बिन तुम्हारे हम
इस तरह से नहीं दिल्लगी करते ।

क्यों नहीं छू लिया आसमां तुमने
काम मुश्किल नहीं गर कभी करते ।

छोड़ आये जिसे घर तुम्हारा है
बस यही सोचकर वापसी करते ।

ज़ुल्म सहते रहे हम ज़माने के
पर शिकायत किसी से नहीं करते ।

एक हसरत लिये चल दिये "तनहा"
मत लगाते गले बात ही करते । 
 

 

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