जून 26, 2020

एक बाबा मांगते सभी देश ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

     एक बाबा मांगते सभी देश ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया 

उनको उम्मीद थी भरोसा था यकीन था कोरोना की दवा की खोज की खबर का असर होगा ज़रूर। अमेरिका से फोन आया तो धमकी मिलने की तैयारी थी दिल ही दिल में सोचा था इनकार नहीं किया जा सकता फिर भी नाज़ नख़रे दिखाए जा सकते हैं पहले रूठना फिर मान जाना दोस्ती मुहब्बत का मज़ा लिया जाता है। मगर ये क्या उधर से कोरोना की दवा की नहीं मांग की गई मांगा गया कि ये बाबा मुझे दे दो ठाकुर। गब्बर सिंह की तरह से उनको जो चाहिए छीन सकते हैं। समझ नहीं आया पूछा आपको कोरोना की दवा चाहिए तो भिजवाते हैं हमने तो अपने देश में रोक लगा दी है बेचारे गरीब की दवा बिक जाये अच्छा है। अपने क्या हमें उल्लू समझ रखा है हमने किसी दवा की नहीं उस बाबा की मांग की है। बाबा बड़े काम की चीज़ है दवा नहीं कुछ और काम लिए जा सकते हैं आप भिजवा दो। बात बीच में रह गई उधर से चाईना भी यही मांग रहा था उसको भी कोरोना की दवा की नहीं बाबा की ज़रूरत थी। ऐसा क्या महत्वपूर्ण मकसद हो सकता है नहीं समझ पा रहे हैं सरकार जनाब। दोनों को दिलासा दे दिया बाबा से बात कर आपको सूचित करते हैं। 

दिल दिमाग़ में खलबली मची है क्या करना चाहते हैं बाबा को लेकर। तीसरे देश के शासक ने राज़ खोल दिया आखिर ये बताकर कि बाबा उनकी अर्थव्यवस्था से लेकर चुनावी खेल तक जनता को झांसे में रखने से लेकर देशभक्ति और ऊंचे आदर्शों महान बनने तक सभी कुछ का उपाय हैं। करोड़ों लोगों को बिना वास्तविक कुछ भी लाभ हासिल किये ऐसा भरोसा दिलवाना तो राजनेताओं के भी बस की बात नहीं है। सरकार जनाब भी उनका इस्तेमाल यही सब पाने को करते रहे हैं तो अब ये राज़ खुल गया है चर्चा आम हो गया है। बाबा को बताया तो बाबा अपना दाम और बढ़वाकर अमेरिका जाने को उतावले हो जाएंगे उनको पता है खुद उन्हें अमेरिका जाना देश की सबसे बड़े पद की कुर्सी हासिल करने से भी अधिक महत्वपूर्ण लगा था। हम भी किसी से कम नहीं हैं जापान चीन अमेरिका से मेड इन इंडिया लगी मोहर वाली चीज़ खरीदते हैं। झट विचार आया हींग लगे न फिटकरी और रंग भी चौखा की तरह समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। 

कॉलोन बनाने वाले को खुद अपने जैसे और नकली हूबहू आदमी बनाने को कहा हुआ था उसको बुलवाया गया और बाबा की नकल के कॉलोन बनवाने की योजना की बात की। बाबा को किसी बहाने उनकी लैब में भिजवाया गया ताकि उनकी नकल बनाने की तरकीब निकाली जा सके। मगर वैज्ञानिक हैरान हो गए ये देख कर कि जिनकी कॉपी बनानी है वो खुद असली है ही नहीं नकली हैं और नकली की नकल बनाना कॉलोन बनाने में संभव नहीं है। सरकार जनाब को जाकर बताया पहले तलाश करो कास्तविक असली बाबा हैं कहां ये तो उनकी नकल है। नकली की पहचान भारत में नहीं होती है और नकली पर असली का लेबल लगाकर बेचते हैं लेकिन अमेरिका चाईना जापान परखना जानते हैं उनको नकली बाबा भेजा तो मामला बिगड़ सकता है। असली नकली में उलझ गए हैं हम लोग और नकली को असली साबित करने वाले सामान ही नहीं बाबा भी नकली बनाने तक लग गए हैं।

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Ha ha ha...Bdhiya shandaar👌