अक्तूबर 07, 2016

आयुर्वेद और योग की भलाई अथवा सिर्फ झूठ धन कमाने को ( गंभीर चिंतन ) डॉ लोक सेतिया

     आयुर्वेद और योग की भलाई अथवा सिर्फ झूठ धन कमाने को 

                                            ( गंभीर चिंतन )  डॉ लोक सेतिया

 विज्ञापन सच नहीं होते सभी जानते हैं फिर भी झांसे में भी आते ही हैं लोग। आज कुछ ऐसे ही विषय की बात करनी है। विज्ञापन दावा करता है हमारा मुनाफा किसी व्यक्ति के लिये नहीं है समाज सेवा के लिये है। वास्तविकता सामने आती है कि उस कंपनी का मालिक दुनिया के अमीरों में शुमार हो गया है। शायद देश में कहीं कोई ज़रूरत बाकी ही नहीं रही समाजसेवा की अन्यथा वो पैसा जमा होता ही नहीं किसी के पास। क्या सच देश समाज स्वर्ग बन गया है , कहीं न किसी स्कूल की कमी है न अस्पताल की , न कोई भूखा है न ही बेघर या दुखी। अगर ये सब समस्याएं हैं तो वो धन जो दावा था समाजसेवा पर खर्च होगा बचा हुआ कैसे है।

         चलो ये मान लेते हैं कि ऐसा झूठ बोलने वाली वही पहली कंपनी नहीं है , और भी है जो विज्ञापन में दावा करती हैं कि उनका प्रोडक्ट खरीदो तो उसका एक भाग किसी विशेष मकसद पर खर्च होगा। उनका उद्देश्य समाजसेवा नहीं होता अपना सामान बेचना होता है आपकी भावनाओं का उपयोग कर के। लेकिन जब कोई खुद यही करता है लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने को प्रचार करता है कि हम अपने मुनाफे के लिये नहीं कर रहे ये सब तो समाजसेवा की खातिर है तब उसका अमीर होते जाना धोखा है ठगी है। अब उनका प्रचार है नये विज्ञापन में नये ढंग से , बताते है वो सन्यासी पहाड़ों जंगलों में जाता रहा है और जड़ी बूटियों को खोज लाया है , और बताता है मैंने किस किस जड़ी बूटी में क्या खोजा क्या पाया है। कब गया कहां गया किसे मालूम। लगता तो नहीं पिछले कई सालों से उसको कारोबार करने से , राजनीति में दखल रखने से , योग को व्योपार बनाने से पल भर भी फुर्सत मिली होगी। फिर भी मान लेते हैं भगवा भेस धारी सच कहता होगा , तो पूछना होगा आपने खोजा क्या नया। टूथपेस्ट बनाना , फेसक्रीम बनाना , और सौंदर्य प्रसाधन बनाना , क्या यही आयुवेद है। आपको पता भी आयुर्वेद का उद्देश्य , लोगों को रोगमुक्त करना रोगों का निदान और उपचार करना। और शायद इक बात सभी जानते हैं बीमार को खुद देखे जांचे बिना कोई वैद भी सही निदान और उपचार नहीं कर सकता है। भूल मत जाना कि देश में इक कानून भी , भले उसको ठीक से लागू किया नहीं गया हो , कि कौन डॉक्टर वैद हकीम है जो उपचार करने का अधिकारी है। कोई डिग्री कोई शिक्षा ज़रूरी है। जैसे आप गली गली शहर शहर दुकानें खुलवा ईलाज करने का दावा कर रहे हैं वो खिलवाड़ है देश की जनता के स्वास्थ्य के साथ। आप सिर्फ और सिर्फ धन अर्जित करने का कार्य कर रहे हैं वह भी उचित अनुचित की परवाह किये बगैर। चलो इक सवाल और भी आखिर में , लोग समझते हैं आपने बड़ा काम किया है योग को प्रचार कर के। मगर जैसा आपका दावा है योग से स्वास्थ्य का , क्या कोई बता सकता है योग करने से देश में लोग कितने अधिक स्वस्थ हो गये हैं , रोग कम हुए हैं। वास्तव में आपने योग को भी अपना कारोबार ही बनाया है , आपका बताया योग देश की सत्तर प्रतिशत गरीब जनता के लिये किसी काम का नहीं है। जो धनवान हैं खुद अपना काम नहीं करते न ही कोई मेहनत ही करते उनको आप कसरत से मोटापा और चर्बी घटाने का उपाय बताते हो। किसी भूखे को मत कहना ये करने को , वो मर जायेगा।  योग क्या है योगी कौन इस पर अभी बहुत बातें हैं कहने को समझने को समझाने को , मगर फिर कभी।  

 

कोई टिप्पणी नहीं: