कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं - लोक सेतिया "तनहा"
कह रहे कुछ लोग उनको भले सरकार हैं ,तुम परखना मत कभी खोखले किरदार हैं।
छोड़कर ईमान को लोग नेता बन गये ,
दो टके के लोग तक बन गये सरदार हैं।
देखकर तूफ़ान को, छोड़ दी पतवार तक ,
डूबने के बन गये अब सभी आसार हैं।
फेर ली उसने नज़र, देखकर आता हमें ,
इस कदर रूठे हुए आजकल दिलदार हैं।
पास पहली बार आये हमारे मेहरबां ,
और फिर कहने लगे फासले दरकार हैं।
हम समझते हैं अदाएं हसीनों की सभी ,
आपके इनकार में भी छुपे इकरार हैं।
गैर जब अपने बने, तब यही "तनहा" कहा ,
ज़िंदगी तुझसे हुए आज हम दो चार हैं।
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