आज हर झूठ को हरा डाला - लोक सेतिया "तनहा"
आज हर झूठ को हरा डाला ,आईना सच का जब दिखा डाला।
बन गये कुछ , लगे उछलने हैं ,
आपने आस्मां बता डाला।
आपके सामने बसाया था ,
घर हमारा तभी जला डाला।
धर्म वालो कहो किया क्या है ,
हर किसी को ज़हर पिला डाला।
जिसपे दीवार को चुना इक दिन ,
आज पत्थर वही हटा डाला।
मुस्कुराये लगे हमें कहने ,
आपके प्यार ने मिटा डाला।
आज देखा उदास तनहा को ,
रुख से परदा तभी हटा डाला।
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