सब से पहले आपकी बारी - लोक सेतिया "तनहा"
सब से पहले आप की बारी ,हम न लिखेंगे राग दरबारी।
और ही कुछ है आपका रुतबा ,
अपनी तो है बेकसों से यारी।
लोगों के इल्ज़ाम हैं झूठे ,
आंकड़े कहते हैं सरकारी।
फूल सजे हैं गुलदस्तों में ,
किन्तु उदास चमन की क्यारी।
होते सच , काश आपके दावे ,
देखतीं सच खुद नज़रें हमारी।
उनको मुबारिक ख्वाबे जन्नत ,
भाड़ में जाये जनता सारी।
सब को है लाज़िम हक़ जीने का ,
सुख सुविधा के सब अधिकारी।
माना आज न सुनता कोई ,
गूंजेगी कल आवाज़ हमारी।
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