दिल में आता है सतायें उनको - लोक सेतिया "तनहा"
दिल में आता है सतायें उनको ,बात ये कैसे बतायें उनको।
एक मुद्दत हुई दीदार किये ,
किस बहाने से बुलायें उनको।
वो तो हर बात पे हंस देते हैं ,
कभी रूठें तो मनायें उनको।
ये सितम हमसे न होगा हर्गिज़ ,
कि शबे हिज्र रुलायें उनको।
हमने पूछा था सवाल उनसे कभी ,
याद वो कैसे दिलायें उनको।
खुद ग़ज़ल हैं वो हमारे दिल की ,
क्या भला और सुनायें उनको।
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